रूस से स्टील्थ युद्धपोत पाने के लिए भारत को करना होगा इंतजार, S-400 के बाद दूसरा बड़ा झटका
मॉस्को
यूक्रेन युद्ध के कारण रूस में बन रही भारतीय नौसेना की दो तलवार क्लास के स्टील्थ युद्धपोत की डिलीवरी में और ज्यादा देरी होगी। यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ रशिया के महानिदेशक एलेक्सी राखमनोव के अनुसार, अब इनकी डिलीवरी मई और अक्टूबर 2024 तक होने की उम्मीद है। तलवार क्लास के युद्धपोत या प्रोजेक्ट 11356 स्टील्थ गाइडेड मिसाइल युद्धपोतों का एक क्लास हैं जिन्हें भारतीय नौसेना के लिए रूस ने डिजाइन और निर्मित किया है। तलवार क्लास के गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट रूसी तट रक्षक में शामिल क्रिवाक III-क्लास (प्रोजेक्ट 1135) फ्रिगेट्स के अपग्रेडेड वेरिएंट हैं। भारत, रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी में भी देरी का सामना कर रहा है। रूस ने एस-400 की पांच बैटरी में से सिर्फ दो को ही डिलीवर किया है।
रूस ने युद्धपोत निर्माण हो रही देरी पर क्या कहा
रिपोर्ट के अनुसार, रूस में चल रहे आर्मी एक्सपो 2023 में राखमनोव ने कहा कि युद्धपोत का काम अंतिम चरण में है। दो महीनों के अंदर यह समुद्री परीक्षण के लिए चला जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ उपकरणों की आपूर्ति में देरी देखी गई है। इन उपकरणों को पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस पहुंचने के लिए "दुनिया भर की यात्रा" करनी पड़ी है। उन्होंने कहा, भुगतान में देरी ने भी एक भूमिका निभाई है। ये दोनों युद्धपोत मूल रूप से 2022 के मध्य में आने वाले थे, लेकिन कोविड महामारी के कारण डिलीवरी की तारीखों में शुरुआती देरी हुई।
1 बिलियन डॉलर में भारत ने की थी डील
भारत के साथ व्यापक सहयोग पर रहकमानोव ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली रूस की सरकारी कंपनी कम से कम पांच या छह अलग-अलग जहाजों के निर्माण के लिए भारतीय नौसेना के साथ बातचीत कर रही थी, लेकिन उन्होंने विशेष विवरण देने से इनकार कर दिया। अक्टूबर 2016 में भारत और रूस ने चार स्टील्थ फ्रिगेट के लिए एक इंटर गवमेंटल समझौते पर सहमति बनी थी। इसके बाद सीधी खरीद के लिए 1 बिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। पहले दो युद्धपोतों की बुनियाद रूस के यंतर शिपयार्ड में डाली गई थीं, जिनका निर्माण अब खत्म ह रही है।
रूसी तकनीक से गोवा में बन रहे दो युद्धपोत
नवंबर 2018 में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने अन्य दो फ्रिगेट के स्थानीय निर्माण के लिए सामग्री, डिजाइन और विशेषज्ञ सहायता के लिए रूस के रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के साथ 500 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद जनवरी 2019 में भारतीय रक्षा मंत्रालय और जीएसएल के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। ये दो स्टील्थ फ्रिगेट वर्तमान में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन हैं और डिलीवरी भुगतान कार्यक्रम के अनुसार तय की जाएगी। मूल कार्यक्रम के अनुसार, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को पहला जहाज 2026 में और दूसरा छह महीने बाद डिलीवर करना था। भारतीय नौसेना पहले से ही लगभग 4,000 टन वजन वाले इनमें से छह युद्धपोतों का संचालन कर रही है। सभी जहाज यूक्रेन के जोर्या नैशप्रोएक्ट के इंजन द्वारा संचालित हैं।