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ज्ञानवापी मुद्दे पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन बोले – भोलेनाथ की 1 इंच जमीन नहीं देंगे…

लखनऊ
ज्ञानवापी मामले में न्यायिक प्रक्रिया से बाहर समझौते की चर्चाओं को हिंदू पक्षकारों ने ठुकरा दिया है. हिंदू पक्ष के वकील और दूसरे महिला याचिका कर्ताओं ने बयान दिया है. हिंदू पक्ष की तरफ से मुख्य वकील विष्णु जैन ने बातचीत की है और किसी भी तरह के सुलहनामे से इनकार किया है. विष्णु जैन ने कहा, मस्जिद कमेटी को हिंदू पक्ष ने बातचीत के लिए कोई न्योता नहीं दिया है. ना ही किसी तरह की कोई बातचीत की जा सकती है. हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि सनातन धर्मी काशी में भोले नाथ की जमीन से एक इंच पर समझौता नहीं करेंगे. यही हो सकता है कि मुसलमान क्षमा मांगे और अपना अवैध कब्जा हटा लें”.

 

सनातनी हिंदू भगवान भोलेनाथ की एक भी इंच जमीन पर समझौता नहीं करेगा और जो खुद को हिंदू बताकर समझौता करने की बात कर रहे हैं असल में वह हिंदू है ही नहीं. वहीं दूसरी ओर उन्होंने यह भी साफ किया कि मुस्लिम पक्ष के लोग अगर माफी मांग लेते हैं तो सनातन धर्म इतना बड़ा है कि उन्हें माफ कर देगा, लेकिन वह इस बात को समझने को तैयार ही नहीं है. गलती सबसे होती है ऐसे में उनके पुरखों से भी गलती हो गई. लेकिन पुरखों की गलती को वह ऐसा मानकर चल रहे हैं मानो उन्होंने खुद गलती की हो.

हरि शंकर जैन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का उदाहरण देते हुए बताया कि बेशक ही ऋषि सुनक मूलतः हिंदुस्तान के रहने वाले हैं, लेकिन वह वहां के प्रधानमंत्री होने के बाद भी क्या ईसाइयों को गाली देते हैं. तो ऐसे में यहां के मुसलमानों को भी यह बात समझ लेनी चाहिए. गौरतलब है कि हिंदू पक्ष की तरफ से वैदिक सनातन संघ ने मुस्लिम पक्ष से आपसी संवाद से ज्ञानवापी विवाद सुलझाने की अपील की है. जिस पर अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने विचार करने की बात कही है.

'एक पक्षकार समझौते की बात नहीं कर सकता'

 

विष्णु जैन ने कहा कि चूंकि मामला रिप्रेजेंटेशन एक्ट के तहत अदालत में चल रहा है, इसलिए कोई भी एक पक्षकार अपने स्तर से बातचीत नहीं कर सकता. ऐसा ही सर्वे के बीच में इस तरह की बातचीत का न्योता देना सरासर अनुचित है जो हिंदू पक्ष को कतई मान्य नहीं है.

 

'बैरिकेडिंग के अंदर एक-एक इंच हमारी जमीन'

जैन ने कहा, किसी भी सूरत में कोई कंप्रोमाइज नहीं होगा. ना ही हिंदू पक्ष या उसके पक्षकार किसी समझौते के टेबल पर बैठेंगे. वह 1 इंच भी ज्ञानवापी की जमीन पर समझौता नहीं कर सकते, यह देवता की जमीन है और देवता की जमीन पर कोई समझौता नहीं होता. बैरिकेडिंग के भीतर एक-एक इंच जमीन हमारे इष्ट देवता की है. उस पर एक ही समझौता हो सकता है कि मुस्लिम पक्ष अपना दावा छोड़े और ज्ञानवापी मस्जिद खाली कर हमें सौंपे.

'देवता के स्थान पर मस्जिद बनाई'

विष्णु जैन के मुताबिक, यह एक representative suit है और इस पर समझौता नहीं हो सकता. समझौते का मतलब होता है- कुछ लेना, कुछ देना. देवता की संपत्ति को लेकर हम अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं. 300 सालों से जो हमारे मूल देवता का स्थान था, उसे मस्जिद बनाया गया इसलिए इसमें देने का तो कुछ सवाल नहीं है. इसलिए किसी भी सूरत में मुस्लिम पक्ष के साथ समझौते के मेज पर बैठने का सवाल ही नहीं है.

'हमारी लड़ाई सिर्फ ज्ञानवापी तक नहीं…'

उन्होंने कहा, अब यह अदालत के जरिए लड़ाई लड़ रहे हैं और अदालत के जरिए ही हम अपने हक में फैसला लेंगे. अगर कोई एक वादी समझौते के लिए आगे बढ़ता भी है तो भी समझौता नहीं हो सकता. क्योंकि जब तक सब के सब समझौते की मेज पर नहीं आएंगे तब तक किसी तरह का आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट नहीं हो सकता. हम किसी सूरत में समझौता ना चाहते हैं, ना करेंगे. हमारी लड़ाई सिर्फ ज्ञानवापी तक नहीं है- हमारी लड़ाई हर उस धार्मिक स्ट्रक्चर को लेकर है, जो पहले मंदिर था और जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई. हमारी लड़ाई वर्शिप एक्ट के खिलाफ भी है, इसलिए समझौता या आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का कोई सवाल ही नहीं है.

 

 

 

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