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शोध : विटामिन डी की कमी से पुरुषों की सेक्सुअल परफॉर्मेंस भी प्रभावित होती है

लंदन

 क्या आपको इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है? अगर हां, तो समय आ चुका है कि आप एक बार अपना विटामिन डी लेवल चेक करवा लें. शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर थकान, हड्डियों में दर्द, मसल्स में कमजोरी और मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि शरीर में इस पोषक तत्व की कमी से आपकी सेक्सुअल लाइफ पर भी काफी बुरा असर पड़ सकता है.

ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में छपी एक स्टडी में  विटामिन डी की कमी और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के बीच में लिंक का खुलासा किया है. स्टडी में सुझाव दिया गया है कि विटामिन डी की कमी से सिर्फ हड्डियों की सेहत और इम्यून हेल्थ पर बुरा असर नहीं पड़ता बल्कि इससे पुरुषों की सेक्सुअल परफॉर्मेंस भी प्रभावित होती है.

क्या होता है इरेक्टाइल डिस्फंक्शन?

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को नपुंसकता भी कहा जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुषों को यौन संबंध के दौरान उत्तेजना नहीं होती या फिर उसे बनाए रखने में परेशानी होती है. कभी कभार इस समस्या का सामना सभी पुरुषों को करना पड़ सकता है. लेकिन अगर आपको हर बार इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो जरूरी है कि आप इसकी जांच करवाएं.

ब्लड फ्लो के रुकने, नर्व डैमेज, साइकोलॉजिकल स्ट्रेस या सेहत से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी के कारण आपको इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

जीवन की गुणवत्ता से जुड़े मुद्दे से कहीं ज्यादा, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को खराब हार्ट हेल्थ के शुरुआती संकेत के रूप में पहचाना जाता है, जिसमें दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा भी शामिल है. अब विटामिन डी की कमी डायबिटीज, मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी कंडिशन के साथ-साथ एक अन्य खतरे के रूप में उभर रही है.

क्या कहती है स्टडी

ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में पब्लिश इस  स्टडी में शोधकर्ताओं ने पुरुषों और चूहों के प्राइवेट पार्ट्स के टिश्यूज की जांच की. उन्होंने पाया कि विटामिन डी की कमी से इरेक्शन में समस्या आती है.

चूहों में देखा गया कि विटामिन डी की कमी के कारण लिंग के ऊतकों (Tissues) में 40% तक अधिक कोलेजन जमा हो गया, जिससे फाइब्रोसिस यानी ऊतक का कठोर होने की समस्या बढ़ी. मनुष्यों में भी यह पाया गया कि जिन लोगों में विटामिन डी कम था, उनके प्राइवेट पार्ट के ब्लड वेसेल्स में प्रोक्रेस्टिनेशन कम थी, और उनका शरीर नर्व स्टिमुलेटर पर सही रिएक्शन नहीं दे पा रहा था. इसके अलावा, विटामिन डी की कमी से ईडी के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाइयां भी कम असरदार हो जाती हैं.

भारत में विटामिन डी की कमी

भारत में विटामिन डी की कमी एक आम समस्या बन गई है. ICRIER के एक एनालिसिस के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति विटामिन डी की गंभीर कमी से पीड़ित है. खासकर पूर्वी भारत में विटामिन डी की कमी का स्तर 38.81% तक है. भारत में विटामिन डी का सही डोज खुराक 400-600 IU है. ज्यादा उम्रदराज को 800 IU तक की जररूत हो सकती है.

कैसे बढ़ाएं विटामिन D का लेवल

सुबह की धूप रोज 15-20 मिनट तक लें.

विटामिन D से भरपूर डाइट जैसे अंडा, मछली, दूध, मशरूम खाएं.

डॉक्टर से सलाह लेकर सप्लीमेंट लें. कभी-कभी डाइट से पूरा नहीं हो पाता, तो डॉक्टर विटामिन D की गोलियां या सिरप सजेस्ट कर सकते हैं.

 

स्टडी में क्या बताया गया है?

स्टडी के लिए, शोधकर्ताओं ने इंसानों और लेबोरेर्टीरी में रखे गए जानवरों दोनों के प्राइवेट पार्ट के टिशू का विश्लेषण किया और पाया कि विटामिन डी की कमी से उत्तेजना (इरेक्शन) में कमी आती है. विटामिन डी की कमी वाले चूहों में, इरेक्शन टिशू में 40% तक ज्यादा कोलेजन जमा हुआ था जो फाइब्रोसिस का संकेत है, जो टिशू को कठोर बनाता है और इरेक्शन को ट्रिगर करने वाले संकेतों को कम प्रभावी बनाता है.

इंसानों में, शोधकर्ताओं ने अलग-अलग विटामिन डी लेवल वाले लोगों पर शोध किया. शोध में जिन पुरुषों के शरीर में विटामिन डी के लेवल को कम पाया गया उन पुरुषों में प्राइवेट पार्ट तक ब्लड का फ्लो काफी कम पाया गया.

हालांकि यह रिसर्च काफी कम लोगों पर की गई थी इसलिए स्टडी के परिणाम कितने सही इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है. इसे लेवल और भी कई रिसर्च होने अभी जरूरी हैं.

 

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