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YSRCP या TDP? आंध्र प्रदेश में भाजपा को नए सहयोगियों की तलाश, पवन नहीं कर पा रहे कल्याण

नई दिल्ली
दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश में भाजपा को नए सहयोगियों की तलाश है। राज्य के विभाजन व तेलुगुदेशम से नाता टूटने के बाद पार्टी यहां पर बेहद कमजोर है। यहां पर उसके पास न तो कोई लोकसभा सीट है और न ही विधानसभा सीट। ऐसे में उसकी संभावनाएं भावी सहयोगियों पर टिकी हुई है। राज्य में क्षेत्रीय दल ताकतवर है और सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी व विपक्षी तेलुगुदेशम के बीच राजनीति बंटी हुई है। राष्ट्रीय दल कांग्रेस व भाजपा यहां पर मुख्य भूमिका में नहीं है। भाजपा के साथ फिल्म अभिनेता पवन कल्याण है, लेकिन उनका करिश्मा भी काम नहीं कर पा रहा है।

आंध्र प्रदेश दक्षिण भारत का ऐसा बड़ा राज्य है, जहां भाजपा सबसे कमजोर है। यहां पर न तो उसकी अपनी संगठनात्मक ताकत है और न ही राजनीतिक। राज्य में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होने हैं। ऐसे में वहां का राजनीति गरमाई हुई है। हाल में लोकसभा में मोदी सरकार के अविश्वास प्रस्ताव पर राज्य के दोनों सत्तारूढ़ व विपक्षी दलों वाईएसआरसीपी व तेलुगुदेशम ने भाजपा का साथ दिया था। जाहिर है कि दोनों दल गठबंधनों की राजनीति में उलझने के बजाए भविष्य के लिए केंद्रीय सत्ता के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं।

बंद नहीं हुए हैं चंद्रबाबू के लिए भाजपा के दरवाजे
भाजपा व तेलुगुदेशम पूर्व में साथ रह चके हैं। इस बार भी दोनों के साथ आने की संभावना बनी हुई है। हालांकि भाजपा ने डी पुरंदेश्वरी को राज्य की कमान सौंप कर साफ कर दिया है कि वह राज्य में एनटी रामाराव की विरासत का कुछ हिस्सा अपने साथ भी लाना चाहती है। एनटी रामाराव की राजनीतिक विरासत उनके दामाद तेलुगुदेशम नेता चंद्रबाबू नायडू संभाल रहे हैं और रामाराव की एक और बेटी डी पुरंदेश्वरी के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू के साथ आने के दरवाजे बंद नहीं है, लेकिन यह देखना होगा कि भाजपा को उसमें लाभ है या वह केवल चंद्रबाबू को ही लाभ पहुंचाएगी। इसके अलावा आगे की राजनीति के लिए भी यह गठबंधन करना ठीक होगा या नहीं।

पवन कल्याण के साथ और भी घटक जोड़ने की कवायद
सूत्रों के अनुसार भाजपा लोकसभा व विधानसभा दोनों के लिए पवन कल्याण के साथ तेलुगुदेशम को भी साथ लाने की कोशिश कर रही है। ऐसा होने पर वह लड़ाई में आ सकती है, लेकिन इसमें कई राजनीतिक पेंच भी है। इसके पहले पड़ौसी तेलंगाना का विधानसभा चुनाव होना है। माना जा रहा है कि इसके नतीजे आने का बाद भाजपा गठबंधन को लेकर कुछ फैसला कर सकती है।

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 25 सीटों में वाईएसआरसीपी को 22 व तेलुगुदेशम को तीन सीटें मिली थी। विधानसभा में 175 सीटों में वाएएसआरसीपी को 151 व तेलुगुदेशम को 23 सीटें मिली थी व एक अन्य के खाते में गई थी।

 

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