भोपालमध्य प्रदेश

आज से हमीदिया में मरीजों को मिलेगा पूरा इलाज, डॉ अरुणा को हटाने के साथ ही हड़ताल खत्म, बने नए नियम

भोपाल
राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आज से मरीजों को पूरा इलाज मिल पाएगा। दरअसल, हमीदिया में 6 दिनों तक चली जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मरीज और उनके परिजन दर-दर भटकने को मजबूर थे। जब जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जुड़ा) के पदाधिकारियों ने प्रदेश भर के सीनियर रेजिडेंट के साथ दबाव बनाया जो चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और विभाग के अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा और शनिवार देर रात डॉ अरुणा राय को हटाने के साथ ही जुड़ा की हड़ताल खत्म हो गई। बता दे डॉ अरुणा कुमार को गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) हटा दिया गया है और चिकित्सा शिक्षा विभाग में भेज दिया गया है। जुड़ा की यही प्रमुख मांग थी कि जिसके लिए वे सोमवार से हड़ताल पर थे। यह हड़ताल जीएमसी में पीजी तृतीय वर्ष की सुसाइड करने वाली जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती के लिए थी।

हमीदिया में डॉ अरुणा को हटाने के साथ ही हड़ताल खत्म असल में मृतिका डॉक्टर के पति व परिजनों ने आरोप लगाए थे कि डॉ अरुण कुमार व अन्य सीनियर स्टाफ ने बाला सरस्वती को परेशान किया था। बाद में दूसरे डॉक्टर ने भी कुछ इसी तरह के आरोप लगाए थे। परिजनों का कहना था कि जब भी उनकी बेटी छुट्टी के लिए आवेदन करती, इस पर सीनियर डॉक्टर अरुणा कुमार द्वारा उनको परेशान किया जाता था।

डॉ अरुणा का सभी ने छोड़ा साथ
घटना के बाद डॉ अरुणा के अलावा जिन पर प्रताड़ना का आरोप लगा था उनमें डॉक्टर रेखा वाधवानी, डॉक्टर भारतीय परिहार और डॉक्टर पल्लवी सिंह पर भी प्रताड़ना के आरोप हैं। बाला सरस्वती के परिजनों ने इन तीनों की भी शिकायत की थी। आयुक्त चिकित्सा शिक्षा की लिखित शिकायत में डॉक्टर अरुण पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप है। उन पर तानाशाही और बदला लेने की प्रवृत्ति से काम करने के भी आरोप लगाए गए थे। जब भी विभाग में कोई विपदा आती तो वे अपने पद और पावर का दुरुपयोग कर किसी न किसी को सॉफ्ट टारगेट बनती थी।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का बड़ा बयान
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का बड़ा बयान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का बड़ा बयान इस मामले में मध्यप्रदेश शासन में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हमने तय किया कि अब प्रत्येक विभाग में एचओडी रोटेशन के अनुसार बनाए जाएंगे। यह रोटेशन हर 2 साल में होगा। जूनियर डॉक्टर से हमने बात की थी, इसके आधार पर कार्रवाई की गई है। सुसाइड नोट में लगाए थे गंभीर आरोप भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में एनेस्थीसिया इंजेक्शन का ओवरडोज लेकर सुसाइड करने वाली छात्रा का सुसाइड नोट सामने आया था। जिसमें उसने लिखा कि मेरी थीसिस मैं कभी पूरी नहीं कर पाऊंगी और यह लोग मुझे कभी करने नहीं देंगे। चाहे कुछ भी हो जाए यदि मैं अपना खून और आत्मा लगा दूं और अपना सब कुछ दे दूं तो यह उनके लिए कभी पर्याप्त नहीं होगा आप की मर्जी के विरोध इस कॉलेज में प्रवेश करना चुना है।
 

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